Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram in Hindi श्री लक्ष्मी नरसिंह करावलंब स्तोत्रं

Of all the Stotrams to worship Lord Narasimha Swamy, Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram stands out due to its simplicity in lyrics and in-depth meaning.

Lord Narasimha, an avatar of Lord Vishnu is a man-lion form that incarnated to kill the demon Hiranyakasipu and save Prahlada, a great devotee of Vishnu. As a representation of valor, Lord Lakshmi Narasimha is worshipped by rulers, warriors, and even householders for protection.

The Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram lyrics are said to be very powerful to protect the devotees against enemies and to exorcise evil.

Most of the lyrics present in the Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram praise the Lord Narasimha who has Goddess Lakshmi seated on his lap, about their appearance, bestowing nature, and urging them to uplift from Samsara and giving their alms.

Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram - Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram Lyrics of Lord Narasimha.
Lord Narasimha along with Goddess Lakshmi

Sri Lakshmi Narasimha Karavalamba Stotram in Hindi श्री लक्ष्मी नरसिंह करावलंब स्तोत्रं

श्रीमत्पयोनिधि निकेतन चक्रपाणे
भोगीन्द्र भोगमणिराजित पुण्यमूर्ते
योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोत
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (1)

ब्रह्मेन्द्र रुद्र मरुदर्क किरीटकोटि
सङ्घट्‍टिताङ्घ्रि कमलामलकान्ति कान्त
लक्ष्मी लसत्कुच सरोरुह राजहंस
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (2)

संसार दाव दहनाकर भीकरोरु
ज्वालावलीभिरतिदग्ध तनूरुहस्य
त्वत्पादपद्मसरसीरुहमागतस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (3)

संसार जाल पतितस्य जगन्नि वास
सर्वेन्द्रियार्थ बडिशाग्र झषोपमस्य
प्रोत्कम्पित प्रचुर तालुक मस्तकस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (4)

संसार कूप मतिघोर मगाधमूलं
सम्प्राप्य दुःखशत सर्प समाकुलस्य
दीनस्य देव कृपया पदमागतस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (5)

संसार भीकर करीन्द्र कराभिघात
निष्पीड्यमान वपुषः सकलार्तिनाश
प्राणप्रयाण भवभीति समाकुलस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (6)

संसार सर्प विषदग्ध महोग्र तीव्र
दंष्ट्राग्र कोटि परिदष्ट विनष्टमूर्तेः
नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरे
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (7)

संसारवृक्ष मघबीज मनन्तकर्म
शाखायुतं करणपत्र मनङ्ग पुष्पम्
आरुह्य दुःखफलितं पततो दयालो
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (8)

संसार सागर विशाल कराल काल
नक्र ग्रह ग्रसित निग्रह विग्रहस्य
व्यग्रस्य रागनिचयोर्मि निपीडितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (9)

संसार सागर निमज्जन मुह्यमानं
दीनं विलोकय विभो करुणानिधे माम्
प्रह्लादखेद परिहार परावतार
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (10)

संसार घोर गहने चरतो मुरारे
मारोग्र भीकर मृग प्रचुरार्दितस्य
आर्तस्य मत्सर निदाघ सुदुःखितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (11)

बद्ध्वा गले यमभटा बहुतर्जयन्तः
कर्षन्ति यत्र भवपाशशतैर्युतं माम्
एकाकिनं परवशं चकितं दयालो
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (12)

लक्ष्मीपते कमलनाभ सुरेश विष्णो
यज्ञेश यज्ञ मधुसूदन विश्वरूप
ब्रह्मण्य केशव जनार्दन वासुदेव
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (13)

ए केन चक्रमपरेण करेण शङ्ख
मन्येन सिन्धुतनया मवलम्ब्य तिष्ठन्
वामेतरेण वरदाभय पद्मचिह्नं
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (14)

अन्धस्य मे हृत विवेक महाधनस्य
चोरैर्महाबलिभिरिन्द्रिय नामधेयैः
मोहान्धकारकुहरे विनिपातितस्य
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (15)

प्रह्लाद नारद पराशर पुण्डरीक
व्यासादि भागवत पुङ्गव हृन्निवास
भक्तानुरक्त परिपालन पारिजात
लक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम् (16)

लक्ष्मीनृसिंह चरणाब्ज मधुव्रतेन
स्तोत्रं कृतं शुभकरं भुवि शङ्करेण
ये तत्पठन्ति मनुजा हरिभक्तियुक्ता
स्ते यान्ति तत्पद सरोज मखण्डरूपम् (17)

श्री लक्ष्मी नरसिंह करावलंब स्तोत्रं

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